एक गंवार ताड़ी पीने वाला प्रेमी अपनी प्रेमिका कटीली के लिए :-
तुम अगर पास आने का वादा करो ,
मैं बदन पे बताशे सजाता रहूँ .
तू मुझे देखकर मुस्कराती रहो
मैं तुझे देखकर आम खाता रहूँ .
जैसे ताड़ी की लबनी पुरानी कोई ,
उस तरह से रसीली नशीली हो तुम .
तुम न समझो , तुम्हारा कलंदर हूँ मैं ,
मेरे सपनों की रानी कटीली हो तुम .
तुम अगर मेरी बगिया में घूमा करो ,
घास पर मैं अंगोछे बिछाता रहूँ .
तुम अगर पास आने का वादा करो ,
मैं बदन पे बताशे सजाता रहूँ .